भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन के खिलाफ चल रहे आयु जालसाजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है, जिससे उन्हें अंतरिम राहत मिली है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने नोटिस जारी किया और इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल 2025 को तय की है।
आरोपों की पृष्ठभूमि
यह विवाद एम.जी. नागराज द्वारा दर्ज कराई गई एक निजी शिकायत के साथ शुरू हुआ, जिसमें आरोप लगाया गया कि लक्ष्य सेन, उनके भाई चिराग सेन, उनके माता-पिता धीरेन्द्र और निर्मला सेन, और उनके कोच यू. विमल कुमार ने जन्म प्रमाण पत्र के रिकॉर्ड में हेराफेरी की।
शिकायत में कहा गया है कि सेन परिवार ने लक्ष्य और चिराग की उम्र लगभग 2.5 साल कम कर दी, ताकि वे जूनियर बैडमिंटन टूर्नामेंट में भाग ले सकें और सरकारी लाभ प्राप्त कर सकें।
कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले, कर्नाटक हाई कोर्ट ने सेन परिवार की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें जांच को रद्द करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एम.जी. उमा ने कहा कि मामले में पर्याप्त प्रथम दृष्टया प्रमाण मौजूद हैं, जो आगे की जांच की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
सेन परिवार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक उनके खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी, जिससे उन्हें अस्थायी राहत मिल गई है।
मामले के मुख्य बिंदु
- आरोप: जन्म प्रमाण पत्र में हेराफेरी कर उम्र को 2.5 साल कम दिखाया गया।
- उद्देश्य: आयु-सीमित टूर्नामेंटों में भाग लेने और सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए।
- सबूत: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेज, युवा मामले मंत्रालय की जांच रिपोर्ट।
- कानूनी कार्रवाई: आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), और 471 (फर्जी दस्तावेजों का उपयोग) के तहत एफआईआर दर्ज।
लक्ष्य सेन के करियर पर प्रभाव
यह मुकदमा लक्ष्य सेन के करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है। वे भारतीय बैडमिंटन के एक प्रमुख खिलाड़ी हैं और वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके हैं। साथ ही, वे 2024 पेरिस ओलंपिक में भी भाग ले रहे हैं।
यदि मामला उनके खिलाफ जाता है, तो इसका असर भविष्य के टूर्नामेंटों और प्रायोजकों (स्पॉन्सरशिप) पर पड़ सकता है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. लक्ष्य सेन पर किस प्रकार के आरोप लगे हैं?
लक्ष्य सेन और उनके परिवार पर आरोप है कि उन्होंने जन्म प्रमाण पत्र के रिकॉर्ड में हेराफेरी कर उम्र कम करवाई, जिससे वे जूनियर टूर्नामेंटों में भाग ले सकें और सरकारी लाभ प्राप्त कर सकें।
2. कर्नाटक हाई कोर्ट का इस मामले पर क्या रुख था?
कर्नाटक हाई कोर्ट ने जांच को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि आरोपों की प्रथम दृष्टया पुष्टि होती है।
3. सुप्रीम कोर्ट ने क्या राहत दी है?
सुप्रीम कोर्ट ने लक्ष्य सेन और उनके परिवार के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है और मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल 2025 को होगी।
4. इस मामले का लक्ष्य सेन के करियर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
अगर फैसला उनके खिलाफ जाता है, तो उनका करियर गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है, जिससे उनके भविष्य के टूर्नामेंटों और प्रायोजकों (स्पॉन्सरशिप) पर असर पड़ सकता है।
यह मामला अभी भी विकसित हो रहा है, और आगे की जानकारी जल्द ही सामने आएगी।
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