24 फरवरी 2025 को बिहार के भागलपुर दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मखाना (फॉक्सनट्स) की एक अनोखी माला पहनाई गई, जो स्थानीय परंपरा का प्रतीक है।
यह अनूठा सम्मान मखाना की सांस्कृतिक महत्ता को उजागर करता है और इसे वैश्विक सुपरफूड के रूप में बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों को दोहराता है।
पूर्व और पश्चिम मखाना से नए उत्पाद बनाएगा Astra3 कॉमर्शियल
Astra3 कॉमर्शियल ने पूर्वी और पश्चिमी मखाना (कमल बीज) का उपयोग करते हुए नए मखाना उत्पाद लॉन्च करने की घोषणा की है।
पीएम मोदी का मखाना प्रेम और उसकी वैश्विक पहचान
प्रधानमंत्री मोदी ने जनसभा को संबोधित करते हुए अपने मखाना प्रेम को साझा किया और कहा, “मैं साल के 365 दिनों में से लगभग 300 दिन मखाना खाता हूं।” उन्होंने इसकी स्वास्थ्यवर्धक विशेषताओं को रेखांकित किया और इसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते उपयोग की बात कही। शहरी भारत में यह अब नाश्ते का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
बिहार में बनेगा ‘मखाना बोर्ड’ – पीएम मोदी की बड़ी घोषणा
प्रधानमंत्री ने बिहार में ‘मखाना बोर्ड’ की स्थापना की घोषणा की, जिससे मखाना उत्पादन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय किसानों को लाभ मिलेगा।
सरकार द्वारा मखाना उत्पादन को प्रोत्साहित करने की पहल
मखाना बोर्ड की स्थापना बिहार के मखाने को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।
- किसानों को प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरण दिए जाएंगे।
- सरकारी योजनाओं तक सुगम पहुंच सुनिश्चित की जाएगी।
- इससे किसानों की आजीविका में सुधार और सतत कृषि पद्धतियों का विकास होगा।
वित्तीय बजट 2025 में मखाना के लिए विशेष प्रावधान
केंद्रीय बजट 2025 में मखाना बोर्ड को लेकर चर्चा की गई, जिसमें मूल्य संवर्धन (वैल्यू एडिशन) और बेहतर मार्केटिंग रणनीतियों पर विशेष जोर दिया गया है।
बिहार: मखाना की आर्थिक और सांस्कृतिक महत्ता पर विशेष रिपोर्ट
भारत में बिहार सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य है, विशेष रूप से मिथिला क्षेत्र इस फसल के लिए प्रसिद्ध है। मखाना की खेती राज्य की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा है।
सरकार के नए प्रयासों से बिहार का मखाना अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंच बना सकेगा, जिससे स्थानीय उत्पादकों को नए अवसर मिलेंगे। हाल ही में ‘मिथिला मखाना’ को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग भी मिला, जो इसकी प्रामाणिकता और गुणवत्ता को दर्शाता है।
आगे की राह: मखाना अपनाएं, स्वस्थ रहें
बिहार की समृद्ध कृषि विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए मखाना को सुपरफूड के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।
पाठकों से आग्रह किया जाता है कि वे अपने आहार में मखाना शामिल करें और इसकी सेहतमंद खूबियों को अपने समुदाय में फैलाएं। यह प्रयास बिहार के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और मखाना को विश्वभर में लोकप्रिय बनाने में मदद करेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
मखाना क्या है?
मखाना (फॉक्सनट या कमल बीज) एक खाद्य बीज है, जिसे मुख्य रूप से बिहार के मिथिला क्षेत्र में उगाया जाता है।
मखाना को सुपरफूड क्यों कहा जाता है?
मखाना प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक खनिजों से भरपूर होता है। इसमें कम कैलोरी होती है और यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, जिससे वजन प्रबंधन और हृदय स्वास्थ्य को लाभ मिलता है।
मखाना बोर्ड से किसानों को क्या लाभ मिलेगा?
मखाना बोर्ड किसानों को बेहतर उत्पादन तकनीक, प्रशिक्षण, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के लिए सहयोग करेगा, जिससे वे अपने उत्पादों का अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकें।
उपभोक्ता अपने आहार में मखाना कैसे शामिल कर सकते हैं?
मखाना को भूनकर हल्का मसालेदार स्नैक के रूप में खाया जा सकता है, इसे सब्जियों में डाला जा सकता है या खीर जैसे मीठे व्यंजनों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
मिथिला मखाना कहां से खरीद सकते हैं?
बिहार के स्थानीय हाट बाजारों में उपलब्ध होने के साथ-साथ, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी प्रामाणिक मिथिला मखाना खरीदा जा सकता है।
वीडियो: पीएम मोदी को मखाना माला पहनाई गई
इस कार्यक्रम की झलक देखने के लिए आप यह वीडियो देख सकते हैं: