AMU में धार्मिक त्योहारों के आयोजन की नीति
AMU प्रशासन का कहना है कि विश्वविद्यालय में दशकों पुरानी नीति लागू है, जिसका उद्देश्य परिसर के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बनाए रखना है। इस नीति के तहत किसी भी संगठित धार्मिक कार्यक्रम को परिसर में आयोजित करने की अनुमति नहीं है। विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर के अनुसार, छात्र व्यक्तिगत रूप से या अपने छात्रावासों में होली मना सकते हैं, लेकिन होली मिलन जैसे औपचारिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं दी जाती।
करणी सेना का पक्ष
करणी सेना का कहना है कि अगर AMU होली कार्यक्रम की अनुमति देने से इनकार करता है, तो यह हिंदू छात्रों के खिलाफ भेदभाव होगा। संगठन का मानना है कि इस तरह के उत्सव सांस्कृतिक समावेशिता को बढ़ावा देंगे। करणी सेना ने चेतावनी दी है कि यदि निर्णय को वापस नहीं लिया गया, तो वे इस मुद्दे को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाएंगे।
छात्रों की प्रतिक्रिया
AMU के हिंदू छात्रों ने प्रशासन के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि इस नीति से वे खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। कुछ छात्र प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करने पर विचार कर रहे हैं।
AMU प्रशासन की सफाई
विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि AMU में होली मनाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। परंपरागत रूप से छात्र परिसर में होली मनाते रहे हैं, लेकिन औपचारिक आयोजनों की अनुमति नहीं दी जाती। प्रशासन का कहना है कि यह नीति किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक तनाव को रोकने के लिए बनाई गई है, जिससे कि परिसर में सौहार्दपूर्ण माहौल बना रहे।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न: AMU ने होली मिलन कार्यक्रम की अनुमति क्यों नहीं दी?
उत्तर: AMU प्रशासन का कहना है कि संगठित धार्मिक कार्यक्रमों की अनुमति नहीं है ताकि विश्वविद्यालय का धर्मनिरपेक्ष वातावरण बना रहे। हालांकि, छात्र व्यक्तिगत रूप से अपने स्तर पर त्योहार मना सकते हैं लेकिन किसी आधिकारिक रूप से आयोजित कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाती।
प्रश्न: इस फैसले पर छात्रों की क्या प्रतिक्रिया रही?
उत्तर: कुछ हिंदू छात्रों का कहना है कि उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है और वे प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग करने पर विचार कर रहे हैं।
प्रश्न: क्या AMU परिसर में अन्य धार्मिक आयोजनों की अनुमति दी गई है?
उत्तर: AMU की नीति किसी भी संगठित धार्मिक आयोजन की अनुमति नहीं देती ताकि धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखा जा सके। हालांकि, छात्र व्यक्तिगत रूप से अपने धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए स्वतंत्र हैं।
प्रश्न: करणी सेना इस मुद्दे में कैसे शामिल हुई?
उत्तर: करणी सेना ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा है। संगठन का दावा है कि यह हिंदू छात्रों के साथ भेदभाव का मामला है।
प्रश्न: आगे क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
उत्तर: छात्र और करणी सेना इस मामले को उच्च अधिकारियों, यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय तक ले जा सकते हैं, ताकि समाधान निकाला जा सके।
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