हर साल की तरह इस साल भी, जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को 18 अगस्त 2022 को गुरुवार के रात 9:21 बजे से शुरू हो रही है. यह अत्यंत शुभ दिनांक अष्टमी तिथि के शुक्रवार 19 अगस्त 2022 के दिन 10:50 बजे समापन होगी| धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था| इसलिए अधिकतर भक्त या लोग 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।

भगवान श्री कृष्ण के चरणों में दो लाइन-

रूप बड़ा प्यारा है|

मुरली मनोहार ने सभी को भवसागर से बाहर निकाला है|

कन्हैया जी मुझ पर भी करो कृपा|

दर्शन देना मुझे, आपके चरणों में रहूं ऐसी हो कृपा।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त – 18 अगस्त रात्रि 12:20 से 01:05 तक रहेगा|

जन्माष्टमी व्रत पूजा का समय – 45 मिनट|

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें ?

जन्माष्टमी की पूजा कैसे करें

  1. जन्माष्टमी की पूजा विधि: – सुबह जल्दी उठकर अस्नान करने के बाद| व्रत करने की संकल्प ले। सबसे पहले उस अस्थान पर माता देवकी और श्री कृष्ण जी की तस्वीर या मूर्ति लगाएं, जहा आप पूजा की अस्थान को चयन किये है|
  2. भगवान को नए वस्त्र पहनाएं और उनके पालन या झुले को सजाएं|
  3. उसके बाद, भगवान श्रीकृष्ण के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं और कुमकुम से उनका तिलक करें। पूजा की सामग्री भगवान के चरणों में अर्पित करें| जैसे अबीर, गुलाल, इत्र, फूल, फल आदि । जो आप की इच्छा हो या पडित जी से सलाह ले|
  4. रात के12 बजे के बाद, एक बार पुनः भगवान कृष्ण की पूजा करें और श्री कृष्ण को झूला झुलाएं और आरती करें। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन मिश्री का भोग लगाएं।
  5. पूजा करते समय माता देवकी, पिता वासुदेव, भाई बलदेव के साथ-साथ नंद बाबा, यशोदा मैया का नाम लें।
  6. भोग में, प्रसाद में और पंचामृत में तुलसी के पत्ते को जरूर रखे |
  7. पूजा स्थल पर बैठ कर भजन करें|
  8. श्री कृष्ण जी के प्रिय वस्तु जैसे – गाय के दूध से बनी खीर, मोरपंख,पंचामृत, मिठाई, मक्खन आदि अवश्य चढ़ाएं.
  9. जन्माष्टमी पर पूजा करते समय शंख का प्रयोग करें और शंख के माध्यम से अपने श्री कृष्ण गोपाल को स्नान कराएं |

जन्माष्टमी पर गलती से भी ना करें ये काम 

  • व्रत के दिन तुलसी के पते को न तोड़ें|
  • यदि आप जन्माष्टमी के दिन व्रत नहीं भी रख रहें है, तो भी चावल नहीं खाना चाहिए|
  • गलती से भी श्री कृष्ण जी के जन्माष्टमी के दिन भोजन में लहसुन, प्याज का सेवन न करे| इस दिन भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए और दुसरो को भी न करने दे |
  • इस दिन गाय एवं बछड़े को भूलकर भी न परेशान करें| वैसे तो कभी भी परेशान नहीं करना चाहिए, नहीं तो भगवान श्री कृष्ण नाराज हो जायेंगे या हो सकते है|

जन्माष्टमी व्रत में क्या खाना चाहिए

जन्माष्टमी व्रत में क्या खाना चाहिए

जन्माष्टमी के पावन वसर पर बहुत से लोग निर्जला व्रत का पालन करते हैं| लेकिन कुछ लोग व्रत में खाना खाते हैं. आप खाने के रूप में फल का सेवन करे| आप ये भी खा सकते है – साबूदाना, देसी घी में पका हुआ समक चावल और सेंधा नमक खा सकते हैं. उपवास के समय अन्न और जल का दान करना काफी अच्छा माना जाता है

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत क्यों रखा जाता है?

जो लोग जन्माष्टमी के व्रत को करते है, वह ऐश्वर्य और मुक्ति को प्राप्त करते है। उनकी लोगो की आयु, कीर्ति, यश, लाभ, पुत्र व पौत्र को प्राप्त कर| इसी जन्म में सभी प्रकार के सुखों को भोग कर अंत में मोक्ष को प्राप्त होते है। जो मनुष्य सच्ची भक्तिभाव से श्रीकृष्ण की कथा को सुनते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं

 

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जन्माष्टमी का व्रत रखने से क्या लाभ होता है?

जन्माष्टमी का व्रत रखने से क्या लाभ होता है

वैसे तो हर मनुषय को निसवार्थ और प्रेम भावना से प्रभु को पूजन करना चाहिए| ऐसी मान्यता है कि लोग भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के दिन, विधि विधान से पूजा करतेहै | व व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण उस व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार. जन्माष्टमी का व्रत करने पर व्यक्ति को हजार एकादशी के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता हैl

जन्माष्टमी की कहानी

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा|

पौराणिक कथा के अनुसार, जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है| इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था|

कृष्ण हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण और प्रिय देवताओं में से एक हैं क्योंकि वे दिव्य आनंद और प्रेम के अवतार हैं। प्रेम के धर्म की स्थापना के लिए ही उन्होंने जन्म लिया और संसार में प्रवेश किया। कृष्ण का प्रेम सार्वभौमिक है और उन्हें अक्सर बांसुरी बजाते और एक पवित्र गाय के पास खड़े होने के रूप में दिखाया जाता है।

कृष्ण जी ने देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिए थे। उनके जन्म के समय एक आकाशवाणी हुई कि, देवकी का यह पुत्र कंस का वध करेगा और आगे जाकर वह अत्याचारी कंस को वद्ध करेगा | और लोगों को कंस के अत्याचार से बचाएगा। कंस और श्री कृष्ण रितस्ते में ममा – भांजे थे|

कंस के अत्याचारों से पूरे मथुरा शहर में कोहराम मच गया था | निर्दोष लोगों को दंडित किया जा रहा था| यहाँ तक कि कृष्ण के मामा कंस ने भी अपनी बहन देवकी और उनके पति वासुदेव को बेवजह कालकोठरी (जेल) में डाल दिया।

कंस ने अपने अत्याचारों से देवकी के सात बच्चों को पहले ही मार डाला था और भगवान कृष्ण ने देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में फिर से इस धरती पर जन्म लिए।

इनके के जन्म दिन पर आकाश में तेज वर्षा होने लगी, चारों ओर घना अँधेरा छा गया और सारे पैहरेदार एवं लोग गैहरी नींद में सो गए थे। सिर्फ उनके पिता जी ही जगे हुए थे | भगवान कृष्ण को एक सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए, वासुदेव ने यमुना नदी को पार किया और भगवान कृष्ण को अपने सिर पर टोकरी में रखकर अपने मित्र नंद गोप के स्थान पर पहुंचे।

 

और वहां भगवान कृष्ण यशोदा मैईया  के साथ रहने लगे और इस तरह यशोदा ने देवकी के पुत्र भगवान कृष्ण को पाला। इसीलिए कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की दो माताएं है, माता देवकी और यशोदा,  एक जन्म दायनी और दूंसरी पालन-हार ।

जन्माष्टमी पर गलती से भी ना करें

कंस द्वारा भेजे गए दुष्टों का वध बचपन से ही भगवान कृष्ण ने किया थे ! और कंस द्वारा प्रजा को परेशान करने के लिए, किए गए सभी प्रयासों को विफल कर दिया गया। फिर अंत में कंस का वध करने के, एक दिन बाद उन्होंने  लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त कर दिए।

भगवान कृष्ण राधा जी से प्रेम करते थे| राधा-कृष्ण जी का प्रेम अमर और पवित्र है| पौराणिक कथा के अनुसार, राधा जी के आजीवन अविवाहित और

श्री कृष्ण भक्ति में लीन रही है| इसलिए कृष्ण से पहले राधा जी का नाम आता   है| राधे-कृष्ण|

 

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अन्य तथ्य और जानकारी भगवान श्री कृष्ण का बारे में 

कृष्ण अपने पूरे जीवन में कई नश्वर खतरों से बचे रहे, और उन्हें उनकी बुद्धि के साथ-साथ उनकी ताकत और चपलता के लिए भी जाना जाता है। कृष्ण को केवल एक दिव्य शिक्षक होने के लिए ही प्यार नहीं किया जाता है, बल्कि इसलिए भी कि वे सभी के भीतर मौजूद दिव्य शक्ति की आग को जलाने का प्रतीक हैं।

 

यह दिव्य शक्ति ही है जो लोगों को आध्यात्मिक उद्देश्य की भावना को बनाए रखते हुए दुनिया में अपनी भूमिका निभाने के लिए बाहर भेजती है। यह उनके प्रेम, प्रेरणा और ज्ञान में है कि कृष्ण दिव्य आनंद के स्रोत हैं।

 

जन्माष्टमी का उत्सव जोशीला होता है, और बहुत से लोग बिना सोए दो दिवसीय उत्सव में आगे बढ़ते हैं। वे गाते हैं, नृत्य करते हैं और कुछ पारंपरिक त्योहारों पर दावत देना पसंद करते हैं जबकि अन्य लोग कृष्ण जन्माष्टमी के मध्यरात्रि में जन्म तक उपवास करना चुनते हैं। उत्सव में विशेष खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं, और वे उन खाद्य पदार्थों को दर्शाते हैं जो भगवान कृष्ण को पसंद थे।

 

बहुत से लोग दूधाची खीर, गोपाल कला और गुलाब जामुन जैसी मिठाइयाँ कृष्ण के जन्म और उनके द्वारा लाए गए आध्यात्मिक नवीनीकरण का जश्न मनाने के लिए बनाते हैं। पूरे भारत में लोग भगवान कृष्ण के गीत, नृत्य और स्तुति में जश्न मनाते हैं और खो जाते हैं। समारोहों में अक्सर रासलीला शामिल होती है, जो एक नाटक है जो हर्षित नृत्य के माध्यम से कृष्ण के जीवन के दृश्यों को फिर से प्रस्तुत करता है।

 

कई समुदाय, विशेष रूप से मुंबई में, दही हांडी में भी भाग लेते हैं, एक अनुष्ठान जिसमें लोग हांडी, या मिट्टी के बर्तन को तोड़ने के लिए एक मानव पिरामिड बनाते हैं, जिसे रस्सी से लटकाया जा रहा है।

जन्माष्टमी पर गलती से भी ना करें ये काम 

द्वारका में, जिस शहर में कृष्ण ने सबसे अधिक जीवन बिताया, पूरे शहर को उत्सव के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए सजाया गया है। द्वारका का अर्थ है “मोक्ष का द्वार,” और भगवान कृष्ण ने अपने भाई के साथ मिलकर इस शहर और इसके महलों को सोने, माणिक, पन्ना और हीरे से बना दिया।

 

कृष्ण की मृत्यु के बाद, यह कहा जाता है कि शहर खो गया और पानी में डूब गया। द्वारका की घटनाएँ पूरे भारत में सबसे विपुल और प्रसिद्ध हैं। त्योहार भगवान कृष्ण की दैनिक दिनचर्या के अनुसार आयोजित किया जाता है, और यह मंगला आरती के प्रदर्शन के साथ शुरू होता है।

 

इसके बाद, भक्त भगवान कृष्ण बंता भोग, या दूध उत्पादों की पेशकश करते हैं, और फिर भगवान कृष्ण को सुबह 8 से 10 बजे के बीच स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद भगवान कृष्ण को पीले रंग के कपड़े और फूलों से बने आभूषण पहनाए जाते हैं। उनके श्रृंगार के बाद, भगवान कृष्ण को फिर से भक्तों के दर्शन करने के लिए उपलब्ध कराया जाता है, और शाम को, मंगला आरती फिर से की जाती है, और एक बार फिर, भगवान कृष्ण को उनकी पसंदीदा मिठाई की पेशकश की जाती है।

 

जन्माष्टमी हिंदू धर्म में सबसे जीवंत छुट्टियों में से एक है और इसे सबसे प्रिय देवताओं में से एक के जन्म के सम्मान में मनाया जाता है। तीर्थयात्री पवित्र स्थानों और मंदिरों में पानी भरते हैं और शहर जगमगाते हैं जबकि कीर्तन और भजन भारत में सबसे प्रिय छुट्टियों में से एक को मनाने के लिए वफादार भक्तों द्वारा गाए जाते हैं।