हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि, जो इस वर्ष 26 फरवरी 2025 को मनाई जा रही है, भगवान शिव की आराधना का प्रमुख पर्व है। इस दिन भक्त 9 ग्रहों की शांति के लिए विशेष उपाय करते हैं और व्रत पारण की विधि का पालन करते हैं।
9 ग्रहों की शांति के लिए उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 9 ग्रहों का हमारे जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर, ग्रहों की शांति के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- सूर्य ग्रह: भगवान शिव को लाल फूल और गुड़ अर्पित करें।
- चंद्रमा ग्रह: शिवलिंग पर कच्चा दूध और सफेद फूल चढ़ाएं।
- मंगल ग्रह: शिवजी को लाल चंदन और मसूर की दाल अर्पित करें।
- बुध ग्रह: हरे मूंग और हरे वस्त्र चढ़ाएं।
- गुरु ग्रह: पीले फूल और चने की दाल अर्पित करें।
- शुक्र ग्रह: सफेद चंदन और दही चढ़ाएं।
- शनि ग्रह: काले तिल और सरसों का तेल अर्पित करें।
- राहु ग्रह: नीले फूल और उड़द की दाल चढ़ाएं।
- केतु ग्रह: कसावा और नींबू अर्पित करें।
इन उपायों से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में सकारात्मकता लाई जा सकती है।
महाशिवरात्रि व्रत पारण विधि
महाशिवरात्रि का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत पारण की सही विधि इस प्रकार है:
- स्नान: सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
- पूजा: भगवान शिव की विधिवत पूजा करें, जिसमें बेलपत्र, धतूरा, और भांग चढ़ाएं।
- व्रत समाप्ति: रात्रि जागरण के बाद, अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में व्रत पारण करें।
- भोजन: सात्विक भोजन ग्रहण करें, जिसमें फल, दूध, और हल्का आहार शामिल हो।
व्रत पारण के दौरान, मन में शुद्धता और भगवान शिव के प्रति भक्ति भाव रखना आवश्यक है।
नवीनतम समाचार और अपडेट
इस महाशिवरात्रि पर, कई प्रमुख मंदिरों में विशेष आयोजन किए जा रहे हैं। दिल्ली, काशी, उज्जैन और हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, जहां विशेष पूजा और रात्रि जागरण का आयोजन हो रहा है। इसके अलावा, कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर वर्चुअल पूजा और लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की गई है, जिससे भक्त घर बैठे ही भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: महाशिवरात्रि का व्रत क्यों रखा जाता है?
उत्तर: महाशिवरात्रि का व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
प्रश्न 2: क्या व्रत के दौरान जल ग्रहण किया जा सकता है?
उत्तर: हां, व्रत के दौरान जल और फलाहार ग्रहण किया जा सकता है, लेकिन कुछ भक्त निर्जला व्रत भी रखते हैं।
प्रश्न 3: व्रत पारण का सही समय क्या है?
उत्तर: व्रत पारण रात्रि जागरण के बाद, अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में किया जाता है।
इस महाशिवरात्रि पर, 9 ग्रहों की शांति के लिए उपरोक्त उपाय अपनाएं और व्रत पारण की विधि का पालन करें। अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें और इस जानकारी को अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें।