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प्रसिद्ध गायक प्रतुल मुखोपाध्याय का 82 वर्ष की आयु में निधन

श्रद्धांजलि: बंगाली गायक और संगीतकार प्रतुल मुखोपाध्याय, जिन्हें “आमी बांग्लाय गान गाई” और “डिंगा भासाओ सागरे” जैसे गीतों के लिए जाना जाता है, का 15 फरवरी 2025 को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह एसएसकेएम अस्पताल, कोलकाता में अग्नाशय संबंधी बीमारियों और अन्य उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करा रहे थे, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

प्रारंभिक जीवन और संगीत यात्रा

प्रतुल मुखोपाध्याय का जन्म 1942 में बरीशाल (अब बांग्लादेश) में हुआ था। बचपन से ही उनमें संगीत की गहरी रुचि थी। जब वह 12 वर्ष के थे, तब उन्होंने मंगलाचरण चट्टोपाध्याय की कविता को संगीत में ढालकर अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत की।

उन्होंने 1960 के दशक के अंत में बंगाली संगीत जगत में एक प्रमुख गीतकार के रूप में पहचान बनाई। उनकी रचनाएँ पारंपरिक बंगाली धुनों को आधुनिक विषयों के साथ जोड़ती थीं। उनकी संगीत शैली ने समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को छुआ और श्रोताओं के दिलों को गहराई से प्रभावित किया।

प्रतिष्ठित योगदान

“आमी बांग्लाय गान गाई”, एक ऐसा गीत है जो बंगालियों के लिए संस्कृति और एकता का प्रतीक बन गया है। यह गीत न केवल भारत और बांग्लादेश में बल्कि विश्वभर में रहने वाले बंगालियों के लिए गर्व का विषय बन गया है।

उनका एक और प्रसिद्ध गीत, “डिंगा भासाओ सागरे”, अपनी गहरी भावनात्मक अपील के कारण लोकप्रिय है। यह गीत उन सभी लोगों को छूता है जो इसके बोलों से जुड़ाव महसूस करते हैं।

प्रतुल मुखोपाध्याय ने बंगाली सिनेमा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने “गोसाईबागानेर भूत” फिल्म के लिए पार्श्वगायन किया, जो उनके सिनेमा करियर का एक महत्वपूर्ण पहलू था।

स्वास्थ्य और निधन

जनवरी 2025 की शुरुआत में, वह एसएसकेएम अस्पताल, कोलकाता में भर्ती हुए, जब उनकी अग्नाशय संबंधी बीमारी गंभीर हो गई। तमाम चिकित्सीय प्रयासों के बावजूद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई और 15 फरवरी 2025 को उनका निधन हो गया।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अस्पताल में उनसे मुलाकात की थी और उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने मुखोपाध्याय के परिवार और उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना प्रकट की।

संगीत विरासत

प्रतुल मुखोपाध्याय का संगीत केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं था; उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डाला और बंगाली संस्कृति को नई पहचान दी। उनकी ईमानदारी और यथार्थवादी अभिव्यक्ति ने उन्हें एक अमर संगीतकार बना दिया है।

उनकी धुनें और गीत हमेशा श्रोताओं के दिलों में गूंजती रहेंगी और उनकी संस्कृति के प्रति प्रतिबद्धता उनकी विरासत को हमेशा जीवंत रखेगी।


FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q: प्रतुल मुखोपाध्याय के सबसे प्रसिद्ध गीत कौन से हैं?
A: उनके सबसे लोकप्रिय गीत “आमी बांग्लाय गान गाई” और “डिंगा भासाओ सागरे” हैं।

Q: प्रतुल मुखोपाध्याय का निधन कैसे हुआ?
A: वह अग्नाशय संबंधी रोगों और अन्य उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण दुनिया से विदा हो गए।

Q: उन्होंने बंगाली सिनेमा में क्या योगदान दिया?
A: वह एक पार्श्वगायक भी थे और उन्होंने “गोसाईबागानेर भूत” फिल्म के लिए गाना गाया था।

Q: “आमी बांग्लाय गान गाई” गीत बंगाली संस्कृति के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
A: यह गीत बंगाली सांस्कृतिक गर्व और एकता का प्रतीक है और यह दुनिया भर के बंगालियों के दिलों को जोड़ता है।

Q: प्रतुल मुखोपाध्याय के गीतों ने सामाजिक मुद्दों पर कैसे प्रकाश डाला?
A: उनके कई गीत समाज के समकालीन मुद्दों को उजागर करते थे और श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर देते थे।


हम चाहते हैं कि हमारे पाठक प्रतुल मुखोपाध्याय के गीतों और उनकी यादों को हमारे साथ साझा करें। हमें कमेंट में बताएं कि उनके कौन से गाने आपको सबसे ज्यादा पसंद हैं और उनके संगीत ने आपके जीवन को कैसे प्रभावित किया। आइए, मिलकर उनकी संगीत यात्रा को श्रद्धांजलि दें।

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