आगामी परीक्षा से पहले कई सवाल उठ रहे हैं और इस आईआईटी परीक्षा प्रश्न ने इंटरनेट पर हलचल मचा दी है। यह प्रश्न इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम की एक क्विज़ में आया और इसमें पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का उल्लेख किया गया, जिसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सुनने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दिल्ली चुनावों में भारी हार का सामना कर चुके हैं। राजनीतिक टिप्पणी और तकनीकी शिक्षण के इस मिश्रण ने सोशल मीडिया पर काफी विवाद उत्पन्न किया है।
विवादास्पद परीक्षा प्रश्न
यह प्रश्न आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा 11 फरवरी, 2025 को आयोजित परीक्षा का हिस्सा था, जिसमें एक काल्पनिक स्थिति प्रस्तुत की गई थी कि “श्री अरविंद केजरीवाल” एक रेडियो फ़िल्टर डिज़ाइन करना चाहते हैं। इसका लक्ष्य 105.4 मेगाहर्ट्ज़ पर प्रसारित होने वाले विविध भारती एफएम चैनल को अलग करना था, जो ‘मन की बात’ कार्यक्रम प्रसारित करता है, और समीपवर्ती चैनलों – रेडियो नशा (107.2 मेगाहर्ट्ज़) तथा एफएम रेनबो लखनऊ (100.7 मेगाहर्ट्ज़) को -60 डीबी तक कम करना था।
प्रश्न में मजाकिया अंदाज में जोड़ा गया कि भारी चुनावी खर्चों के कारण केजरीवाल केवल एक 50-ओम रेजिस्टर, एक वेरिएबल इंडक्टर और एक वेरिएबल कैपेसिटर ही खरीद सकते हैं। छात्रों को इस डिज़ाइन किए गए फ़िल्टर की गुणवत्ता कारक (Quality Factor) और आवश्यक इंडक्टेंस एवं कैपेसिटेंस मानों की गणना करनी थी।
आईआईटी कानपुर की सफाई
इस परीक्षा प्रश्न के वायरल होने के बाद, आईआईटी कानपुर अधिकारियों ने इस संदर्भ पर आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रश्न तैयार करने वाले प्रोफेसर अक्सर परीक्षाओं को दिलचस्प बनाने के लिए प्रसिद्ध व्यक्तियों (वास्तविक और काल्पनिक दोनों) का उपयोग करते हैं। इससे पहले भी प्रश्नों में मार्वल यूनिवर्स के टोनी स्टार्क जैसे पात्रों का उल्लेख किया गया था। संस्थान ने यह भी बताया कि यह पूरी तरह से अकादमिक उद्देश्य के लिए किया गया था, न कि किसी राजनीतिक मंशा से।
सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएँ
इस परीक्षा प्रश्न पर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं:
- समर्थन में प्रतिक्रियाएँ: कई उपयोगकर्ताओं ने इस रचनात्मक दृष्टिकोण की सराहना की और कहा कि सिद्धांतिक प्रश्नों को वास्तविक जीवन की स्थितियों से जोड़ने से छात्रों के लिए उन्हें अधिक प्रासंगिक और आकर्षक बनाया जा सकता है।
- आलोचना: कुछ लोगों ने इस प्रश्न को राजनीति और अकादमिक क्षेत्र के अनुचित मिश्रण के रूप में देखा और इस तरह के संदर्भों की निष्पक्षता तथा पेशेवरता पर सवाल उठाए।
व्यापक प्रभाव
यह घटना शैक्षिक संस्थानों में समकालीन संदर्भों के उपयोग को लेकर चल रही बहस को उजागर करती है। कुछ शिक्षकों का मानना है कि समाचार और सार्वजनिक हस्तियों को शामिल करने से शिक्षा अधिक प्रासंगिक और आकर्षक बनती है। वहीं, कुछ अन्य शिक्षकों का तर्क है कि यह पूर्वाग्रह को जन्म दे सकता है और अलग-अलग दृष्टिकोण वाले छात्रों के लिए अध्ययन को कठिन बना सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
प्रश्न: आईआईटी कानपुर परीक्षा में अरविंद केजरीवाल से संबंधित प्रश्न क्या था?
उत्तर: प्रश्न में एक रेडियो फ़िल्टर डिज़ाइन करने को कहा गया था ताकि “श्री अरविंद केजरीवाल” ‘मन की बात’ कार्यक्रम सुन सकें और समीपवर्ती चैनलों को फ़िल्टर किया जा सके।
प्रश्न: इस विवाद पर आईआईटी कानपुर की क्या प्रतिक्रिया रही?
उत्तर: आईआईटी कानपुर ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि यह प्रश्न पूरी तरह से अकादमिक उद्देश्य के लिए तैयार किया गया था और इसमें राजनीतिक पक्षपात का कोई इरादा नहीं था।
प्रश्न: सोशल मीडिया पर इस प्रश्न पर क्या प्रतिक्रिया मिली?
उत्तर: कुछ लोगों ने इसे शिक्षा में रचनात्मकता के रूप में देखा, जबकि अन्य लोगों ने इसे कक्षा के अनुभव को राजनीतिक रंग देने की कोशिश बताया।
प्रश्न: क्या आईआईटी कानपुर पहले भी इस तरह के संदर्भों का उपयोग कर चुका है?
उत्तर: हाँ, संस्थान ने कहा कि पहले भी परीक्षाओं में टोनी स्टार्क जैसे काल्पनिक पात्रों का उल्लेख किया गया था ताकि छात्रों को विषय में अधिक रुचि हो।
प्रश्न: इस मामले से अकादमिक क्षेत्र में क्या निष्कर्ष निकलते हैं?
उत्तर: यह मामला शैक्षिक सामग्री में समकालीन और संभावित विवादास्पद संदर्भों को शामिल करने के संतुलन पर चल रही बहस को दर्शाता है।
हम पाठकों से आग्रह करते हैं कि वे इस विषय पर अपने विचार साझा करें। क्या आपको लगता है कि शिक्षा में आधुनिक संदर्भों को शामिल करने से सीखने की गुणवत्ता बढ़ती है, या क्या शिक्षण सामग्री को तटस्थ रखा जाना चाहिए? अपने विचार हमें कमेंट सेक्शन में बताएं!